Volume : IX, Issue : III, March - 2020

Vartman Pariprekshy me Sanskrut ka ayurved me mahatva evam sthiti

Dr. Lokendra Rawat, Dr. Sunita D. Ram

Abstract :

आयुर्वेद भारतवर्ष की एक अत्यंत प्राचीनतम चिकित्सा पध्दति है । तथा आयुर्वेद ग्रंथो की मूल भाषा संस्कृत है अर्थात आयुर्वेद के चिकित्सा सिद्धांत संस्कृत भाषा मे है । जैसा कि आचार्य चरक ने कहा है– ‘‘हिताहितं सुखं दुःखमायुस्तस्य हिताहितं । मानं च तच्च यत्रोक्तमायुर्वेद: स उच्चते’’।। (च.सू. 1/41) इसी प्रकार आयुर्वेद का प्रयोजन – “प्रयोजनं चास्य स्वस्थस्य स्वास्थ्य रक्षणं आतुरस्य विकार प्रशमनं च’’ ! (च.सू.30/26) अर्थात आयुर्वेद चिकित्सा शास्त्रों में आचार्यो ने विषय का विस्तृत वर्णन न करते हुए उन्हें एक सूत्ररूप मे वर्णित किया है। चूंकि आयुर्वेद चिकित्सा पध्दति मुख्य रूप से वनौषधियो से की जाती है । इसी तारतम्य मे विभिन्न वनौषधियो को क्षैत्र –स्थान विशेष के आधार पर भिन्न – भिन्न नाम एवं पर्यायो के आधार पर पहचाना / जाना जाता है। चूँकि संस्कृत एकमात्र ऐसी भाषा है जो विभिन्न नाम व पर्यायो को एक सूत्र मे पिरोने का काम करती है । “योगवित्त्वप्यरूपज्ञस्तासां तत्वविदुच्यते’’ ! ( च.सू. 1/123) जिसका वर्णन "नाम–रूप–विज्ञानं " से पृथक रूप से वर्णन मिलता है । साथ ही साथ संदिग्ध द्रव्यों को संस्कृत नाम से सरलतम रूप मे समझ सकते है। सनातन सभ्य प्राचीनतम भाषा जो उस समय ‘महर्षि पाणिनि‘ ने ‘अष्ठअध्याय‘ नाम से वर्णीत किया है । विश्व की सबसे बड़ी व्याकरण है तो वह संस्कृत है। देवभाषा है। वर्तमान में 90% लोग पाश्चात्य देशों की भाषा की ओर अग्रेषित है तथा इन्हें हमारी प्राचीनतम भाषा संस्कृत की ओर आकर्षित करना एक हालात बन चुका है। अर्थात वर्तमान मे आयुर्वेद के हालात एवं दिशा जो भविष्य मे आयुर्वेद के विकास को दर्शता है ।

Article: Download PDF    DOI : https://www.doi.org/10.36106/paripex  

Cite This Article:

VARTMAN PARIPREKSHY ME SANSKRUT KA AYURVED ME MAHATVA EVAM STHITI, Dr. Lokendra Rawat, Dr. Sunita D. Ram PARIPEX-INDIAN JOURNAL OF RESEARCH : Volume-9 | Issue-3 | March-2020


Number of Downloads : 768


References :